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सवाल करो / राग तेलंग
Kavita Kosh से
सवाल करो खड़े होकर
अगर चीज़ें तुम्हें समझ नहीं आतीं
अगर तुम्हारे पास
वे चीज़ें नहीं हैं जो दूसरों के पास हैं तो सवाल करो
सवाल करो
अगर तुम्हें शिक्षा सवाल करना नहीं सिखाती
अगर उत्तरों से और सवाल पैदा नहीं होते तो सवाल करो
सवाल करो
अगर तुम्हारे होने की महत्ता को स्वीकारा नहीं गया
अगर तुम अपने-आप के होने को
अब तक साबित नहीं कर पाए हो तो सवाल करो
सवाल करो
और जानो-समझो ऐसा क्यों है ?
ऐसा कौन चाहता है कि सवाल ही पैदा न हों !
ऐसा होने से वाकई किसका बिगड़ता है और
किसका क्या बनता है ?
इस बारे में सबसे सवाल करो
इस शोर भरे समय की चुप्पी तोड़ना चाहते हो तो
सवाल ज़रुर करो ।