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सवाल / उमा अर्पिता

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एक के बाद एक
जब-जब मन में
घास से उगे हैं सवाल
और मैंने चाहे हैं उनके जवाब
तुमने महज टालने की गरज से
सवालों की घास को
कतर डाला है सतह से
यह भूलकर, कि
सतह से नीचे जड़ें
गहरे तक पैठी हैं,
जो तुम्हारे जवाब से
संतुष्ट न होकर
फिर फूट पड़ेंगी, और
एक बार फिर उगने लगेंगे
मन में सवाल बेहिसाब...!