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सहजता / जया आनंद
Kavita Kosh से
सहज होना
जैसे निरभ्र आकाश में
पंछी का उड़ना
श्वेत निर्झर का झरना
उदधि में उठने वाला फेनिल ज्वार
एक माँ का अपने बच्चे से दुलार
एक पत्नी का
अपने पति के लिए फुलके पकाना
रूठने पर पति का उसे मनना,
सहज होना
जैसे भाई -बहन की परस्पर लड़ाई
नाती पोतों की दादी नानी से ढिठाई,
सहज होना
जैसे कोई गीत गुनगुनाना
कुछ याद आ जाना
पलकों का भीग जाना
मन को कुछ भा जाना
कदमों की थिरकन
हल्की सी सिहरन,
सहज होना
जैसे सब में व्याप्ति
और स्वयं की प्राप्ति