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सहज हो प्रभु साधना हमारी / गुलाब खंडेलवाल

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सहज हो प्रभु साधना हमारी
  
सहज रहे जीवन और सहज हो मरण
सहज सदा चिंतन हो, सहज आचरण
सहज-सहज कर लें हम वरन वे चरण
शरण-क्लेशहारी

आतप-हिम-वात सभी हँस-हँसकर सहें
जैसे तू रखता हो वैसे ही रहें
तेरी ही सुनें और तुझसे ही कहें
भार हो न भारी

सहज हो प्रभु साधना हमारी