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सहज / जय गोस्वामी / रामशंकर द्विवेदी

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याद आना
कितना सहज है —
और भूलना
कितना कठिन !
००

ऐसा क्यों कह रहा हूँ ?
मेरे भीतर जो
बार - बार नए रूप में
जीवित हो उठती है रोज़
उसे साथ-साथ
बने रहना प्रतिदिन ?

असम्भव रूप से
है कठिन,
सचमुच में कठिन...

मूल बाँगला भाषा से अनुवाद : रामशंकर द्विवेदी