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सहयात्री / कुमार विकल
Kavita Kosh से
तुम्हारी दिशा उधर
मेरी दिशा इधर
इसी लिए तुम सोचते हो हम
दो अलग दिशाओं के सहयात्री हैं,
पर मेरा विश्वास है कि हम—
दो अलग दिशाओं की ओर
चलते हुए भी सहयात्री हैं
क्योंकि हम शब्दबद्ध है.
….शब्द जो,निरर्थ से
अर्थ तक की यात्रा में
दिशा का बोध देता है
दिशा को बदल सकता है
अब तो केवल देखना है
किसका शब्द
किसकी दिशा बदलता है
ओ मेरे सहयात्री
शब्दबद्ध !