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सही परिप्रेक्ष्य / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
भूखा आदमी
धर्म स्थानों पर
चुपचाप सुनता है
प्रवचन
धर्म –नैतिकता
स्वर्ग -जन्नत की
बड़ी -बड़ी बातें
जो निकल जाती हैं
उसके सिर के
ऊपर से
उसकी आँखे टिकी होती हैं
‘प्रसाद’ की थाली पर।