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साँच-अेक / ॠतुप्रिया
Kavita Kosh से
थूं
आपरै साँच माथै
टिक्यौ रै’
भलांईं
थारौ
हुज्यावै
सौ’ कीं
स्वा’
आखर में
सगळा कै’सी
वा’।