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साँझ की डोली / सपना मांगलिक
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सांझ बहन चंदा से बोली
आ भैया खेलें आँख मिचोली
भैया ने अपनी बाँहें खोलीं
गले लगा बहन को प्रेम से बोला
छोड़ बहन तू सखियों की टोली
हो गयी है सयानी अब तू
बैठ डोली जा संग हमजोली
साँझ ठुनक कर फिर ये बोली
नहीं करनी मुझको शादी वादी
मैं चढूं कभीं न भैया डोली
चंदा के भी भर आये नयना
बोला रीत यह पुरानी बहना
घोड़ी चढ़कर आयेंगे सजना
छोड़ के अब गुडिया और बचपना
सजा अपने सजना का अंगना
पहन कर चूनर सितारों वाली
बनेगी दुल्हन बहना हमारी
बाजे पवन शहनाई नभ मंडप में
हो खुशियाँ ही खुशियाँ तेरे जीवन में