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साँझ / गाब्रिएला मिस्ट्रल / सुमन पोखरेल

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पग्लिरहेझैँ लाग्छ मेरो हृदय
मैनबत्तीजसरी बिस्तारैबिस्तारै;
मदिरा हैन,
बाक्लो तेल बगिरहेझैँ लाग्छ नशामा मेरा।
भागिरहेझैँ लाग्छ
जीवन
मृगशावकजसरी मन्दमन्द
बिस्तारैबिस्तारै।