आज शाम
ठीक ७:३० बजे
निकला जब
कालेज भवन से
और चल रहा था
खोए हुए मन से
सहम कर रुक गया अचानक
सड़क पर रेंगते हुए एक
साँप को देखकर
और वह भी
डर गया था मेरे क़दमों की आहट से
अवश्य वह मुझसे पहले डरा होगा
भई मैं आदमी जो हूँ
मेरे रुकने पर वह भागने लगा
पर आदमी से कौन बच सकता है भला ?
वहीं कुचल डाला मैंने उसे
सोचा बड़ा ज़हरीला है
किन्तु मेरे
भय और क्रोध के आगे
उस साँप का ज़हर पानी निकला