साँवरे मुझ को तू थोड़ी सी मुहब्बत दे दे / रंजना वर्मा
साँवरे मुझ को तू थोड़ी सी मुहब्बत दे दे
या कि फिर जिंदगी छोडूं ये इजाज़त दे दे
हो जो मुमकिन तो मेरी जिंदगी का जामिन बन
चाहे फिर मुझको जमाने की बग़ावत दे दे
श्याम आकर बना बिगड़ी हुई किस्मत मेरी
या निगाहों के करम की मुझे रहमत दे दे
है जमाना कहाँ सुनता भरी गम से आहें
मेरे आँसू न बहें दर्द की चाहत दे दे
चाहते दिल ने है बेचैन कर दिया इतना
अपने कदमों के तले तू मेरी जन्नत दे दे
ख्वाब दे दे मेरी आँखों को सुनहरा कोई
साजे दिल पर बजे ऐसी मुझे उल्फ़त दे दे
लोग भगवान को भी बख़्शते नहीं हैं मगर
चुप रहूँ मैं मुझे तू इतनी शराफ़त दे दे
चोट गैरों को लगे और दिल दुखे अपना
इस जमाने को कोई ऐसी रवायत दे दे
आसमाँ में उगे उम्मीद का सूरज फिर से
बाद उस के भले दुनियाँ को क़यामत दे दे