भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
साँसों की रात थी वह / रवीन्द्र दास
Kavita Kosh से
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।
इतनी नजदीकियों के बावजूद नहीं हो पा रहा था यकीन
कि हम साथ हैं,
गोकि यह भी मालूम न था
कि साथ होना कहते किसे हैं ?
न कोई सवाल था
और न कोई जवाब ।
बस साँसें थी
दहकती सी, बहकती सी - भागती बदहवास
आँखें भूल चुकी थी देखना
कान सुनना.....
सारी ताकत समा गई थी साँसों में
याद करो तुम भी
साँसों की रात थी वह।
बेशक बीत गया अरसा
गुजर गया एक जमाना
फिर भी, ओ मेरे तुम !
एक बार फिर मुझे उस रात में ले चलो
वह रात ! सचमुच,
साँसों की रात थी वह।