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साँस / राजेन्द्र जोशी
Kavita Kosh से
हँसते हुए उसकी साँसें
उसी को लौटा देंगे
पर अपनी शर्तों पर
यह देह तो मेरी माँ की है
केवल साँस ही है
जो तेरी है
पहचान पिता की
चालाकियां दुनिया की
ईर्ष्या रिश्तों की