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सांता क्लाज / दुन्या मिखाईल
Kavita Kosh से
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अपनी युद्ध जैसी लम्बी दाढ़ी
और इतिहास जैसा लाल लबादा पहने
सांता, मुस्कराते हुए ठिठके
और मुझसे कुछ पसंद करने के लिए कहा.
तुम एक अच्छी बच्ची हो, उन्होंने कहा,
इसलिए एक खिलौने के लायक हो तुम.
फिर उन्होंने मुझे कविता की तरह का कुछ दिया,
और क्यूंकि हिचकिचा रही थी मैं,
आश्वस्त किया उन्होंने मुझे : डरो मत, छुटकी
मैं सांता क्लाज हूँ.
बच्चों को अच्छे-अच्छे खिलौने बांटता हूँ.
क्या तुमने मुझे पहले कभी नहीं देखा ?
मैनें जवाब दिया : लेकिन जिस सांता क्लाज को मैं जानती हूँ
फ़ौजी वर्दी पहने होता है वह तो,
और हर साल वह बांटता है
लाल तलवारें,
यतीमों के लिए गुड़िया,
कृत्रिम अंग,
और दीवारों पर लटकाने के लिए
गुमशुदा लोगों की तस्वीरें.
अनुवाद : मनोज पटेल