भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सांसां रा खल्ला / सांवर दइया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भूख री भाड़ में भूंजीजै
म्हारा सुपनां
मन में ई मर जावै
म्हारी मनस्यावां
जीवण सार म्हे कांई जाणां
म्हे तो घींस रैया हां
सांसां रा खल्ला ।