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सांस मत लेना हवाओं में ज़हर है / रामकुमार कृषक
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सांस मत लेना हवाओं में ज़हर है
मर न जाएँ हम यही उनको फ़िकर है
रात, आधी रात का ऐसा अन्धेरा
आज तक जिसकी नहीं कोई सहर है
घर - गली - फुटपाथ लाशें और लाशें
देखने में तो वही रोशन शहर है
रात के दिन पर परीक्षण हो रहे हैं
दोस्तो, यह इस सदी की ही ख़बर है