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सांस / सांवर दइया
Kavita Kosh से
अठीनै
चितराम बण बैठिया है
मिनख
लुगाई
टाबर
पण लेवै सांस !
बठीनै
परदै माथै
बोलै-बतळावै
नाचै-गावै
उछ्ळै-कूदै चितराम
पण लेवै कोनी सांस !