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साओन सखा कुंजवनमे / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

साओन सखा कुंजवनमे, ग्वालरि दधि बेचु री
करत बाद-विवाद हमसँ, देहु कंस दोहाय री
भादव भरम गमाय ग्वालिनि, घूरि घर तोहे जाहु री
घाट जमुना दान लागे, देहु दान चुकाय री
आसिन राधा हरिसँ विनती, दान कबहुँ ने लाग री
जँ हम जनितहुँ दान लागे, दितहुँ दान चुकाय री
कातिक कंचन मुकुट सोहे, ओ पिताम्बर काछिनी
देखु सुन्दर रूप मोहन, नयन पट तन छाय री
मास अगहन बिहुँसि राधा, ठाढ़ि भय विनती करी
छाड़ि देहु अराड़ि मोहन, जाहु गोकुल भागि री
पूसहि नेह सनेह ग्वालिनि, काहे तोँ जाहु री
सदा लोचन रहत नाहीं, देहु दान चुकाय री
चढ़ल माघ्ज्ञ बसन्त गहि गहि मास ओ चतुराबड़ी
जाय अहिरा बात कहि-कहि सुनह यशुदा माय री
फागुन बंद पसारि ग्वालिनि, उड़त अबीर-गुलाल री
दौड़ि-दौड़ि सखी सभी घेरत, ग्वालिन धूम मचाय री
चैत चिन्ता करह ग्वालिन, कृष्ण राधा साथ री
लेहु दान प्रभु अधिक गोरस, करह यमुना पार री
बैशाख राधा गेलि मधुपुर, हरिसँ कहथि बुझाय री
ज्ञान तोहरा लाज ककरा संकट प्राण गमाय री
जेठ प्रभुजी सँ भेंट भय गेल, ओहि कदम्ब जुरि छाँ री
छीनि लेल प्रभु चीर चोली, ग्वालिनि करत किलोल री
अषाढ़ राधा रास ठानल, कृष्ण राधा साथ री
सुकवि दास इहो पद गाओल, राधा कृष्ण विलाप री