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सागर / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
उद्धत उछाल पर है आज
जल-ज्वार सागर का
अंतर उबाल पर है आज
अनुदार सागर का
पीड़क प्रहार पर है आज
उद्गार सागर का
हिंसक प्रसार पर है आज
प्रतिकार सागर का
रचनाकाल: १६-०६-१९७६, मद्रास