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साजिश से हर इक बात छुपायी गयी तो क्या / रंजना वर्मा
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साज़िश से हर इक बात छुपायी गयी तो क्या।
बर्बादियों की मुझसे रज़ा ली गयी तो क्या॥
शिक़वा न किया उनसे बताने को कुछ नहीं
मेरी ही वफ़ा लाश बना दी गयी तो क्या॥
जो कर गये तबाह सभी गाँव बस्तियाँ
उनके लिये दुआ न कोई की गयी तो क्या॥
उग आएगा मुकाम से इस फिर नया शज़र
जंगल में थी जो आग लगा दी गयी तो क्या॥
इतनी-सी तमन्ना थी रहे साथ तुम्हारा
ये आरजू भी मेरी मिटा दी गयी तो क्या॥
है दिल के आईने में मेरे अक्स तुम्हारा
ये बात भी अगरचे भुलायी गयी तो क्या॥
रस्ते के बीच तुम ही गये हाथ छोड़ के
कोई कसम न तुमसे निभायी गयी तो क्या॥