भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
साजिश / सुधा चौरसिया
Kavita Kosh से
पहले तुम्हें
अमानुष बनाया
फिर तुम्हारे ही
हाथों से
अपनी सारी
सुख-सुविधाओं की
सामग्री बनवाई
और सभी को
अधिकृत कर लिया
सामंतवादी प्रवृति वाले
मनुष्यों ने
पर, जब तुमसे
भगवान बनवाया
उदारता पूर्वक
तुम्हारे हाथों में
थमा दिया
ताकि
पीढ़ी दर पीढ़ी
उस साजिश रूपी
भगवान के आगे
अपने सुख के लिए
गिड़गिड़ाते रहो
और अपनी
दयनीय स्थिति को
अपनी नियति समझ
चुपचाप जीते रहो...