बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
साजौ पत जोजन की, भोजन पै सभों सब,
साजौ मंच डेरन गुलगुलौ लियायकें।
तान दो वितान चार चाँदनी चंदेवा, पूर-
पल में गलीचा फर्स मखमली बिछाय कें।
‘ईसुरी’ तरंगन में दीजियो बंधाय सेत,
काट के कुघाट बाट राखियो बनाय कें।
साज के तोश बेष आउत श्री कोसलेस,
पावै ना कलेंस लेस देस मेरे आय कें।