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सातवौ फेरौ / अर्जुनदेव चारण
Kavita Kosh से
आखै कडूम्बै सांम्ही
म्हारौ बाप
करियौ म्हारौ दांन
आप दयाळू
करी किरपा
म्हनै अंगेजण री
नींतर आज रै जमानै
कुण लेवै दांन
आपरौ ओ ऐसांन
नीं भूलैला कडूम्बौ
नीं भूलूंला म्हैं
आप रै पांण
बांटीजी बधाइयां म्हारै आंगणै
ओ आंगणौ
जुगो जुग गावैला आपरौ जस
आप चावौ जणै
फैंक सकौ
दांन लियोड़ी चीज बारै
ओ आपरौ हक है
लौ
म्हैं
सातवौ फेरौ लेवूं