Last modified on 10 अक्टूबर 2010, at 15:25

सात कविताएं-2 / लोग ही चुनेंगे रंग


कराची में भी कोई चाँद देखता है
युद्ध सरदार परेशान
ऐसे दिनों में हम चाँद देख रहे हैं

चाँद के बारे में सबसे अच्छी खबर कि
वहाँ कोई हिंद पाक नहीं है
चाँद ने उन्हें खारिज शब्दों की तरह कूड़ेदानी में फेंक दिया है.

आलोक धन्वा, तुम्हारे जुलूस में मैं हूँ, वह है
चाँद की पकाई खीर खाने हम साथ बैठेंगे
बग़दाद, कराची, अमृतसर, श्रीनगर जा जा
अनधोए अँगूठों पर चिपके दाने चाटेंगे.