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सात सखिआं के झूमके राधे न्हाण चाली हो राम / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
सात सखिआं के झूमके राधे न्हाण चाली हो राम
आगे किसन हर मिल गए राधे तैं कित चाली हो राम
थारी तै बरजी नार हूं म्हारी सास खुंदाई हो राम
जिब पिरभू धोरे भया सीली बाल चलाई हो राम
केले बरगी कामनी राधे थर थर कांबी हो राम
जिब पिरभू नरै दया ए आई काली कम्बली पूंचाही हो राम
काली कम्बली न औढ़ैं हम तो कालै हो ज्यां हो राम
जिब पिरभू नै दया ए आई पीली साड़ी पूंचाही हो राम
तम चिर जीओ बेटा नंद के म्हारा मान बधाया हो राम