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साथिण का जंचा दिया ठीक मावस कै अड़कै / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
साथिण का जंचा दिया ठीक मावस कै अड़कै
मैं मंरू अक जीऊं मेरी माय साथिण मेरी जायगी तड़कै
साथिण का कर्या कसार कढ़ाई भर भर कै
मैं मरूं अक जीऊं मेरी माय साथिण मेरी जायगी तड़कै
साथिण की दिखादी तील पिलंग पै धर के
मैं मरूं अक जीऊं मेरी माय साथिण मेरी जायगी तड़कै
साथिन ने आई घाल पहर कै तड़कै
मैं मरूं अक जीऊं मेरी माय साथिण मेरी जायगी तड़कै
मैं पड़ी खटोली के बीच सबर सा करकै
मैं मरूं अक जीऊं मेरी माय साथिण मेरी जायगी तड़कै