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साथी किताबु / मीरा हिंगोराणी
Kavita Kosh से
अकेलेपण जो साथी किताबु,
ढ़ेरु कहाणियूं लतीफा दिलकश,
बारनि खे बुघाए किताबु।
खबरुं ज्ञान विज्ञान जूं,
पढ़ही लिखी विद्वान थियूं,
ॻालिह इहासमझाए किताबु।
साथी किताबु....
संतनि ऐं परियुनि जो,
ढ़ेरु खज़ानो मूर्तिन जो,
नसीहतुनि सां भरियल किताबु,
साथी किताबु...
वञो जे ॿारो पुस्तक-मेले,
खूब खरीदे अची किताब,
सदा साणु रहे किताबु,
दूर उदासी करे किताबु।
अकेलेपण जो साथी किताबु!