भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

साथी / पद्मजा बाजपेयी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरे दर्द को न छीनो, खुशियाँ मेरी ले लो।
चाहे वह है मेरी अमानत, पूँजी मेरे पास ही रहने दो।
 मेरे...
इसके अलावा और मेरे पास कुछ नहीं है।
मंजिल की राह पर एक दिल दीप तो जलाने दो।
 मेरे गम ...
मुझे कोई गिला नहीं है, सबसे मिली खुशी है,
दामन में फूल भी है, अब कांटो को चुनने दो।
 मेरे गम...।
तुम तो रहो सलामत, खुशियाँ मिले अनगिनत,
मेरे ज़िंदगी के साथी, बस साथ ही चलने दो।
 मेरे गम...