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साथ उन का जो मिल गया होता / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'

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साथ उनका जो मिल गया होता
चाक दामन का सिल गया होता

हमने ढूंढा है हर गली उस को
काश हमको वो मिल गया होता

दर-बदर हम न यूँ हुए होते
साथ उनका जो मिल गया होता

सुन के आहट तुम्हारे कदमों की
ढूंढने तुमको दिल गया होता।