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साथ गुज़रे जो तेरे वही शाम है / आलोक श्रीवास्तव-१
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साथ गुज़रे जो तेरे वही शाम है,
ज़िन्दगी चंद लम्हात का नाम है ।
सोच भी दफ़्न की होंठ भी सी लिए,
जब से ख़ामोश हूँ दिल को आराम है ।