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साथ तेरा अगर नहीं होता / विकास जोशी
Kavita Kosh से
साथ तेरा अगर नहीं होता
हमसे इतना सफ़र नहीं होता
धूप है राह में उसूलों की
इसमें कोई शजर नहीं होता
लोग क्या क्या खरीद लेते हैं
बस हमीं से गुज़र नहीं होता
सामना ज़िन्दगी से करने का
हर किसी में हुनर नहीं होता
हम अगरचे सहेजते कुदरत
मौसमों का कहर नहीं होता
अब तो आदी से हो गए हैं हम
हादसों का असर नहीं होता
दिल यूं लगते क़रीब हैं लेकिन
रास्ता मुख़्तसर नहीं होता
गर वफ़ा ही मिली जो होती तो
आदमी दर-ब-दर नहीं होता