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साथ रहते हैं नहीं अब खास अपने / अवधेश्वर प्रसाद सिंह
Kavita Kosh से
साथ रहते हैं नहीं अब खास अपने।
खो चुके हैं आपसी विश्वास अपने।।
दोष किसका है बड़ा कहना है मुश्किल।
ज़िंदगी उलझी हुई है पास अपने।।
अब कहाँ रिश्ते निभाते लोग सब हैं।
बन रहे हैं बदनुमा इतिहास अपने।।
आप सब आराम से बैठे रहेंगे।
कल करेंगे लोग सब उपहास अपने।।
हम बहर पर ही सदा गढ़ते ग़ज़ल हैं।
प्यार दिल में रख बुझाते प्यास अपने।।