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साथ / अशोक शुभदर्शी
Kavita Kosh से
ऊ जीवी रहलोॅ छेलै
आपनोॅ मिट्ठोॅ सपना के साथें
खुशी-खुशी
ऊ जीवी रहलोॅ छै आबें टूटी केॅ
अपनोॅ टूटलोॅ सपना के साथें
कोय जीयै छै जेनां केॅ
अपनोॅ ढहलोॅ-ढनमनैलोॅ मकानोॅ में
फटलोॅ-चिटलोॅ चादर ओढ़ी केॅ
टूटलोॅ-फूटलोॅ बरतनोॅ के साथें।