Last modified on 19 दिसम्बर 2019, at 19:37

साफ कपड़ों की धुलाई कौन करता है / अवधेश्वर प्रसाद सिंह

साफ कपड़ों की धुलाई कौन करता है।
आज कल खुद ही पढ़ाई कौन करता है।।

कचहरी में रोज हम यह देखते आये।
अब गरीबों की भलाई कौन करता है।।

फीस लेते हैं उसी को डांटते भी हैं।
याचकों की अब रिहाई कौन करता है।।

जुल्म तो घर से निकल अब रोड पर होते।
बीच राहों पर बुराई कौन करता है।।

वोटरों के साथ देखो छल किये जाते।
जुल्मियों पर अब कड़ाई कौन करता है।।

जात के हथियार से जो जिस्म जर-जर की।
उन दरिंदों की पिटाई कौन करता है।।

आम की गाढ़ी कमाई लूटते जो हैं।
ताज उनको दे बड़ाई कौन करता है।।

खा मलाई बर्तनो को फोड़ते देखो।
अध कपाड़ी को विदाई कौन करता है।।

आ गले लग जा सभी मिल बैठ कर सोचें।
राज अपना है दुहाई कौन करता है।।