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साबुत / भास्कर चौधुरी
Kavita Kosh से
वे निगल गए नदी को साबुत
और अब उगल रहे हैं
पानी मिली राख
धरती के गालों पर मलने के लिए शायद
धरती के सौंदर्य का यही एक तरीका बच गया है.