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सामंजस्य / बहादुर पटेल
Kavita Kosh से
तुम्हारा मुस्कुराना इस तरह
दिल में हलचल पैदा करता है
मानो
हरी-हरी कोंपले निकलने
के लिए आतुर हों
और मैं उस पौध को
सींच रहा हूँ अनवरत
ताकि
कोंपलें निकलती रहें
लगातार, लगातार।