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सामण आया हे मां मेरी मैं सुण्या जी / हरियाणवी

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सामण आया हे मां मेरी मैं सुण्या जी
हां जी कोए आई है नवेली तीज
पड़ी ए पंजाली हरियाल बाग में जी
ले लो बांदी पटड़ी ए झूल
कोए चलो तो म्हारे साथ जी
भले ए घरां की कंवर निहाल
बांगां ना जाइयो बैरण झूलणै
थम नै तो लाडो झूलण रा चाव
झूला घला द्यां अपणै बाग में जी
तेरी तो रोकी अम्मां मेरी ना रहूं जी
हां जी कोए सब कोए झूलण नै जांय
पड़ी ए पंजाली हरियल बाग में जी
एक डस झूले बाह्मण बाणिये जी
हां जी एक डस रांघड़ और राजपूत
बिच बिच झूले कंवर निहालदे जी