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सामने आया जमाना भी कई मंज़र लिये / रंजना वर्मा

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सामने आया जमाना भी कई मंज़र लिये
रह सकेंगे अब सुकूँ से चाँद पर हैं घर लिये

यूँ तो दुनियाँ में हमारे दोस्त हैं कितने मगर
सामने हँस कर मिले पर हाथ मे खंज़र लिये

पालने का शौक उन को पंछियों को है यहाँ
पालते हैं पंछियों को पर क़तर सब पर लिये

लोग कहते हैं कि वे बेलौस हैं खुद्दार हैं
हैं इसी से आशियाने देश से बाहर लिये

नफ़रतों की राह पर चलना बहुत मुश्किल लगा
दुश्मनी जब कर न पाये दोस्ताने कर लिये

था नहीं मसला कोई जो रोकता इक ठौर पर
बस इसी से साथ अपने जो लिये बेघर लिये

हाँ निभाना है कठिन रिश्ता किसी भी ख़्वाब से
पर खरीदे ख़्वाब जो भी और से बेहतर लिये