भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सायुज्य / धूमकेतु
Kavita Kosh से
जे अहाँक पूजा करैत छथि
अहाँकें पाथर बुझैत छथि
आ जे ध्यान धरैत छथि
तिनका हेतु अहाँ प्रतिमा छी
इतिहास-पुराण तँ कवि करैत अछि
जे अहाँकें राजमहिषी कहैत अछि
हमरा हेतु अहाँ की माटि-पानि-बसात
कारण हम अहाँक देहकें भोगलहुँ अछि
अहाँक स्वासक चिरंतन सुगन्धि
तँ एखनहुँ हमरा प्राणमे बसल अछि।