भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सारा ध्यान ख़ज़ाने पर है / विज्ञान व्रत
Kavita Kosh से
सारा ध्यान ख़ज़ाने पर है
उसका तीर निशाने पर है
अब इस घर के बंटवारे में
झगड़ा बस तहख़ाने पर है
होरी सोच रहा है उसका
नाम यहाँ किस दाने पर है
सबकी नजरों में हूँ जब से
मेरी आँख जमाने पर है
कांप रहा है आज शिकारी
ऐसा कौन निशाने पर है