सारी दुनिया उसकी लिखी हुई एक साज़िश है / नवीन रांगियाल
मैं कई दिनों तक लिखने के बारे में सोचता रहता हूँ,
प्रतीक्षा करता हूँ
लेकिन एक दिन लिखने के मेरे सारे एफर्ट जिंदा रहने के एफ़र्ट में गल जाते हैं
दुनिया में बने रहने की मेरी भूख में सड़कर नष्ट हो जाते हैं
ख़बरें अक्सर कविताओं का शिकार कर लेती हैं
किसी रात जब मैं नींद की आखिरी तह में डूब चुका होता हूँ
जब करवट के लिए भी कहीं कोई जगह नहीं बची होती
उसी वक़्त, आधी रात को कोई अज्ञात अंधेरी सुरंग चाबुक मारकर मुझे जगा देती हैं
शब्दों का एक पूरा बाज़ार मेरी आत्मा को लालच में लपेट लेता है
मैं नींद में उन अक्षरों के सिरे पकड़कर सिरहाने में दबोच कर रख लेता हूँ
लेकिन शब्दों का एक जादुई सिरा मेरी नींद को मरोड़कर बिस्तर पर ही उसका गला घोंट देता है
मेरी नींद एक भूरे कबूतर में तब्दील हो जाती है
मेरी रात एक सफेद कागज़ का टुकड़ा बन जाती है
उस कागज के टुकड़े पर मैं एक किताब की तरह हो जाना चाहता हूं
एक कविता बनकर बिखर जाना चाहता हूं
चाहता हूं कि इस रात में एक बोझिल सा निबंध बन जाऊं
या एक अंतहीन, धीमा, ठहरा हुआ हुआ नॉवेल
फिर सोचता हूँ
कृष्णबलदेव वैद अभी क्या लिख रहे होंगे
निर्मल वर्मा होते तो क्या लिखते
काफ़्का अपने कॉफ़िन में क्या सोच रहा होगा
अल्बेर कामू अपनी कब्र में क्या कर रहा होगा
जिन सिमेट्रियों में दुनिया के लेखक मरे दफ़्न पड़े हैं, वहां क्या आलम होगा
इस आधी रात की नींद को धक्का मारकर मैं गहरी खाई में पटक देता हूँ
मैं देखता हूँ कि यहां पहले से सबकुछ लिखा हुआ है
सुबह- सुबह कुछ दुकानदार गुलाब के फूल लिख रहे हैं
मोगरा और चमेली लिख रहे हैं
कुछ लोग जाने के लिए रास्तें लिख रहे हैं
कुछ लौटना लिख रहे हैं
रात अंधेरा लिख रही
झींगुर आवाजें
कमरे नींद और करवटे लिखते हैं
दोपहरें उबासियाँ लिखती हैं
औरतें मसालों का छौंक लिखती हैं
बच्चे स्कूल लिखते हैं
अख़बार हत्याएं लिख रहे हैं
अंधेरा अपराध लिखता है
चौकीदार ऊंघ रहे हैं
कुछ अस्पताल सायरन लिख रहे
चारदीवारी चीखें लिखती हैं
देवता आधी रात को आँखें फाड़कर जाग रहे हैं
हाथ लकीरें लिख रहे
उंगलियाँ की- बोर्ड लिखती हैं
मन अतीत
आँखें प्रतीक्षा लिखती हैं
दिल प्रेम
देह नष्ट होना लिखती है
होंठ प्रार्थनाएँ लिखते
उम्र मृत्यु लिख रही है
मंदिर धूप- बत्ती
मज़ारे इत्र- खुश्बू लिख रही हैं
मैं देखता हूं कि ईश्वर दफ़ा 302 के अपराध में बंद है
उसे आजीवन कारावास है
अधिकतर ख़ुदाओं को दुनिया की कैद हो गई है
मैं यहाँ उसकी याद लिख रहा हूँ
वो वहाँ आँखों में सुबह काजल
शाम को नमी लिख रही होगी
मैं देखता हूँ कि मेरी ज़मानत मुश्किल है
सारी दुनिया उसकी लिखी हुई एक साज़िश है