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सारी दुनिया हरी-भरी होगी / श्याम कश्यप बेचैन
Kavita Kosh से
सारी दुनिया हरी भरी होगी
ये लड़ाई जो आख़िरी होगी
आप बैसाखियों पे चलते हैं
आप से ख़ाक रहबरी होगी
कोशिशें ग़र दिखावटी होंगी
कामयाबी भी ऊपरी होगी
आज जो फ़ाख़्ते उड़ाते हैं
उनके हाथों में कल छुरी होगी
रेत नीचे की अब तलक नम है
कोई नद्दी यहाँ मरी होगी
बोल देना बहार आएगी
कोई पत्ती अगर हरी होगी