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सार्वजनिक पन्द्रह अगस्त / हरेराम बाजपेयी 'आश'

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आओ आजादी दिवस-जश्न मना लें,
बहती गंगा में हम भी नहा लें,
दूकानदारों से लेकर चन्दा,
राष्ट्रीय पर्व के नाम पर,
सड़क के चारों तरफ,
लगाकर रस्सियों का फन्दा,
बीच चौराहे पर,
झण्डा लहरायेंगे,
कम से कम आठ घंटे,
फिल्मी गीतों के रिकार्ड,
रिकार्ड तोड़ आवाज में बजाएंगे,
किसी मंत्री/ नेता को बुलवाकर,
झण्डा फहरायेंगे,
उपस्थित मुहल्ले वालों के प्रति,
आजादी और एकता के नाम पर,
खुद की तारीफ सुनवायेंगे।
जेब में पड़े चन्दे के कारण,
कुछ दिनों के लिये महंगाई भूल जायेंगे,
फिर नेता के जाते ही,
चन्दे के खर्च और बटवारे पर,
कौओं से लड़ेंगे,
मिठाइयों के पैकेट जेब में भरेंगे,
छिलका फेकेंगे सड़क पर,
खाकर केला, फिर
कुर्बानी का गीत सुनवायेंगे,
लैला ओ लैला....
बहती गंगा में हम भी नहा लें,
ताकि सनद रहे,
परम्परा निभा ले,
आओ पन्द्रह अगस्त मना ले॥