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सावचेती / सांवर दइया
Kavita Kosh से
बरसां आखड़ लिया
अबै दूजो पग धरण सूं पैली
आपां आ तो सोचां
कै पगां हेठै जमीन
सिर माथै आभो
अर
आं दोनां बिच्चै खुली हवा
है या नईं ?