Last modified on 16 जुलाई 2008, at 23:06

सावधान / महेन्द्र भटनागर

अंधेरा है, अंधेरा है,
बेहद अंधेरा है !
घुप अंधेरे ने
सारी सृष्टि को
अपने जाल में / जंजाल में
धर दबोचा है,
घेरा है !

नहीं; लेकिन
तनिक भयभीत होना है,
हार कर मन में
पल एक निष्क्रिय बन
न सोना है !
तय है
कुछ क्षणों में
रोशनी की जीत होना है !

आओ
रोशनी के गीत गाएँ !
सघन काली अमावस है
पर्व दीपों का मनाएँ !

तम घटेगा
तम छँटेगा
तम हटेगा !