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सावधान / महेन्द्र भटनागर
Kavita Kosh से
अंधेरा है, अंधेरा है,
बेहद अंधेरा है !
घुप अंधेरे ने
सारी सृष्टि को
अपने जाल में / जंजाल में
धर दबोचा है,
घेरा है !
नहीं; लेकिन
तनिक भयभीत होना है,
हार कर मन में
पल एक निष्क्रिय बन
न सोना है !
तय है
कुछ क्षणों में
रोशनी की जीत होना है !
आओ
रोशनी के गीत गाएँ !
सघन काली अमावस है
पर्व दीपों का मनाएँ !
तम घटेगा
तम छँटेगा
तम हटेगा !