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सावन का महीना बन्ने ने कीया शोर / हिन्दी लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सावन का महीना बन्ने ने कीया शोर
जल्दी शादी कर दो मंहगाई का है जोर

दादा बराती आये दादी को संग में लाये
जब से बन्नी आयी दादी का चले ना जोर।
जल्दी शादी कर दो मंहगाई का है जोर

सावन का महीना बन्ने ने कीया शोर
जल्दी शादी कर दो मंहगाई का है जोर

पापा बराती आये मम्मी को संग में लाये
जब से बन्नी आयी मम्मी का चले ना जोर।
जल्दी शादी कर दो मंहगाई का है जोर

सावन का महीना बन्ने ने कीया शोर
जल्दी शादी कर दो मंहगाई का है जोर

भईया बराती आये भाभी को संग में लाये
जब से बन्नी आयी भाभी का चले ना जोर।
जल्दी शादी कर दो मंहगाई का है जोर

सावन का महीना बन्ने ने कीया शोर
जल्दी शादी कर दो मंहगाई का है जोर

जीजा बराती आये जीजी को संग में लाये
जब से बन्नी आयी जीजी का चले ना जोर।
जल्दी शादी कर दो मंहगाई का है जोर

सावन का महीना बन्ने ने कीया शोर
जल्दी शादी कर दो मंहगाई का है जोर