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सावन केॅ कारमुनीं-सावन में बादल / कस्तूरी झा 'कोकिल'
Kavita Kosh से
एक
सावन में बादल
गरजै बड़ी जोर।
तोरा बिना आँखी सें
चूयै छै लोर।
दू
सावन में आबीजा,
प्रियतम साँवरिया।
पनघट पर बैठी केॅ
सुनबै बँसुरिया।
तीन
सावन में घिरी जा
कारी बदरियां
प्रियतम सें मिली जैतै
हमरो नजरिया।
चार
कैहिनें नुकैलॅ छै
बादल में चान।
देखै लेॅ तड़पै छै,
चकोरीॅ केॅ प्राण।
पाँच
वियोगी लेल सावन
विषधर नाग।
वियोगिन लेली सावन
जरलऽ भाग।