Last modified on 15 दिसम्बर 2015, at 14:34

सावन के बरखा लाये हो / शकुंतला तरार

बरसत सावन भीजे मनभावन
उमड़ घुमड़ घटा छाये हो
सावन के बरखा लाये हो

मन के मछरी उधलना मारे
टेंगना कस टिंग-टिंग कूदे
अबक तबक मन हरेली मा अरझय
कुलक-कुलक मन गाये हो
सावन के बरखा लाये हो

बादर के संग मा मयं उड़ी-उड़ी जाववं
झिमिर झिमिर झरी बरसवं
फुदुक फुदुक मन मोरनी नाचे
जब कारी घटा घिर आये हो
सावन के बरखा लाये हो