भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सावन में स्याम सुन्दर किस देस में सिधारे / महेन्द्र मिश्र
Kavita Kosh से
सावन में स्याम सुन्दर किस देस में सिधारे।
झूलन के दिन में प्यारे सुध ना लिए हमारे।
मेघा बरिस रहे हैं नैना तरस रहे हैं
बिहरा भी डँस रहा है पपिहा पिया पुकारे।
आ जा तूँ स्याम प्यारे अरमान हो हमारे
झूलन की है बहारे सुध के लिहें हमारे।
जमुना किनारे बइठे झूले लगा रहे हैं,
झूला महेन्द्र प्यारे झूलन की है बहारें।